Friday, May 20, 2011

What is Semantic testing

 

What is Semantic testing

Semantic testing is a test technique with as goal to test the relationship between data. The relationship can exist in three different ways:

§  Relationship between input data on 1 screen

§  Relationship between input data on different screens

§  Relationship between input data on data already existing in the system

The outcome of this test technique might reveal that a relationship is missing or that a relationship was incorrectly implemented.

How to create a semantic test?

Identify the relationships to check

Search the test basis for relationships. Test bases containing useful information for this technique are for instance: data model, graphical user interface specifications (screen descriptions), functional requirement specifications.

These are examples of data relationships in a functional requirement specification document for travel booking system:

§  The user cannot check out if his shopping basket is empty

§  If the user orders at least 2 item on the "product overview" screen, he/she can enter a reduction code on the "check out" screen.

§  The delivery date can't be in the past (relationship between delivery date and system date)

§  The user has only access if his/her personal data is known by the system (relationship between sign-in name and information in the database)

Develop the relationships to check

Write down the relationships in a simple structure:

IF A
THEN B
ELSE C

Example:
If the user orders at least 2 item on the "product overview" screen, he/she can enter a reduction code on the "check out" screen. Reduction codes can only be used on Sunday. On other days a message is shown to promote shopping on Sundays.

IF day = Sunday
THEN
IF items ordered >= 2
THEN reduction code field is available
ELSE reduction code field is not available
ELSE Sunday shopping promotion message

Create test cases

Every line where a THEN or an ELSE statement is placed but not IF statement, forms an end-point of a test pathway. For above example, we can find back three pathways:

IF day = Sunday
THEN
IF items ordered >= 2
THEN reduction code field is available (-> pathway 1)
ELSE reduction code field is not available (-> pathway 2)
ELSE Sunday shopping promotion message (-> pathway 3)

For each pathway a test case can be created:

Test case 1: on Sunday order 5 items
Expected result: reduction code is available

Test case 2: on Sunday order 1 item
Expected result: reduction code is not available

Test case 3: on Thursday order 5 items
Expected result: reduction code is not available

Where to apply semantic testing?

Semantic testing is a black-box test technique which is useful at System testing level and Acceptance testing level. An authentication procedure for instance is a typical example requiring semantic testing.

 

 


Thursday, May 19, 2011

हरिवंश राय बच्चन कृत मधुशाला

Madhushaalaa by Harivansha Rai Bachchan

॥हरिवंश राय बच्चन कृत मधुशाला॥

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला
पहले भोग लगा लूँ तेरा, फ़िर प्रसाद जग पाएगा
सबसे पहले तेरा स्वागत, करती मेरी मधुशाला॥१॥

प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूणर् निकालूँगा हाला
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका
आज निछावर कर दूँगा मैं, तुझपर जग की मधुशाला॥२॥

भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला
कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला
कभी न कण- भर ख़ाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ!
पाठकगण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला॥३॥

मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवाला
' किस पथ से जाऊँ? ' असमंजस में है वह भोलाभाला
अलग- अलग पथ बतलाते सब, पर मैं यह बतलाता हूँ -
' राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला॥४॥

चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला!
' दूर अभी है ' , पर, कहता है हर पथ बतलानेवाला
हिम्मत है न बढ़ूँ आगे, साहस है न फ़िरूँ पीछे
किंकतर्व्यविमूढ़ मुझे कर दूर खड़ी है मधुशाला॥५॥

मुख से तू अविरत कहता जा मधु, मदिरा, मादक हाला
हाथों में अनुभव करता जा एक ललित कल्पित प्याला
ध्यान किए जा मन में सुमधुर सुखकर, सुंदर साकी का
और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको दूर लगेगी मधुशाला॥६॥

मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला
अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला
बने ध्यान ही करते- करते जब साकी साकार, सखे
रहे न हाला, प्याला साकी, तुझे मिलेगी मधुशाला॥७॥

हाथों में आने से पहले नाज़ दिखाएगा प्याला
अधरों पर आने से पहले अदा दिखाएगी हाला
बहुतेरे इनकार करेगा साकी आने से पहले
पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधुशाला॥८॥

लाल सुरा की धार लपट सी कह न इसे देना ज्वाला
फ़ेनिल मदिरा है, मत इसको कह देना उर का छाला
ददर् नशा है इस मदिरा का विगतस्मृतियाँ साकी हैं
पीड़ा में आनंद जिसे हो, आये मेरी मधुशाला॥९॥

लालायित अधरों से जिसने, हाय, नहीं चूमी हाला
हषर्- विकंपित कर से जिसने हा, न छुआ मधु का प्याला
हाथ पकड़ लज्जित साकी का पास नहीं जिसने खींचा
व्यर्थ सुखा डाली जीवन की उसने मधुमय मधुशाला॥१०॥

नहीं जानता कौन, मनुज आया बनकर पीनेवाला
कौन अपरिचित उस साकी से जिसने दूध पिला पाला
जीवन पाकर मानव पीकर मस्त रहे, इस कारण ही
जग में आकर सवसे पहले पाई उसने मधुशाला॥११॥

सूयर् बने मधु का विक्रेता, सिंधु बने घट, जल, हाला
बादल बन- बन आए साकी, भूमि बने मधु का प्याला
झड़ी लगाकर बरसे मदिरा रिमझिम, रिमझिम, रिमझिम कर
बेलि, विटप, तृण बन मैं पीऊँ, वर्षा ऋतु हो मधुशाला॥१२॥

अधरों पर हो कोई भी रस जिह्वा पर लगती हाला
भाजन हो कोई हाथों में लगता रक्खा है प्याला
हर सूरत साकी की सूरत में परिवतिर्त हो जाती
आँखों के आगे हो कुछ भी, आँखों में है मधुशाला॥१३॥

साकी बन आती है प्रातः जब अरुणा ऊषा बाला
तारक- मणि- मंडित चादर दे मोल धरा लेती हाला
अगणित कर- किरणों से जिसको पी, खग पागल हो गाते
प्रति प्रभात में पूणर् प्रकृति में मुखरित होती मधुशाला॥१४॥

साकी बन मुरली आई साथ लिए कर में प्याला
जिनमें वह छलकाती लाई अधर- सुधा- रस की हाला
योगिराज कर संगत उसकी नटवर नागर कहलाए
देखो कैसें- कैसों को है नाच नचाती मधुशाला॥१५॥

वादक बन मधु का विक्रेता लाया सुर- सुमधुर- हाला
रागिनियाँ बन साकी आई भरकर तारों का प्याला
विक्रेता के संकेतों पर दौड़ लयों, आलापों में
पान कराती श्रोतागण को, झंकृत वीणा मधुशाला॥१६॥

चित्रकार बन साकी आता लेकर तूली का प्याला
जिसमें भरकर पान कराता वह बहु रस- रंगी हाला
मन के चित्र जिसे पी- पीकर रंग- बिरंग हो जाते
चित्रपटी पर नाच रही है एक मनोहर मधुशाला॥१७॥

हिम श्रेणी अंगूर लता- सी फ़ैली, हिम जल है हाला
चंचल नदियाँ साकी बनकर, भरकर लहरों का प्याला
कोमल कूर- करों में अपने छलकाती निशिदिन चलतीं
पीकर खेत खड़े लहराते, भारत पावन मधुशाला॥१८॥

आज मिला अवसर, तब फ़िर क्यों मैं न छकूँ जी- भर हाला
आज मिला मौका, तब फ़िर क्यों ढाल न लूँ जी- भर प्याला
छेड़छाड़ अपने साकी से आज न क्यों जी- भर कर लूँ
एक बार ही तो मिलनी है जीवन की यह मधुशाला॥१९॥

दो दिन ही मधु मुझे पिलाकर ऊब उठी साकीबाला
भरकर अब खिसका देती है वह मेरे आगे प्याला
नाज़, अदा, अंदाजों से अब, हाय पिलाना दूर हुआ
अब तो कर देती है केवल फ़ज़र् - अदाई मधुशाला॥२०॥

छोटे- से जीवन में कितना प्यार करूँ, पी लूँ हाला
आने के ही साथ जगत में कहलाया ' जानेवाला'
स्वागत के ही साथ विदा की होती देखी तैयारी
बंद लगी होने खुलते ही मेरी जीवन- मधुशाला॥२१॥

क्या पीना, निद्वर्न्द्व न जब तक ढाला प्यालों पर प्याला
क्या जीना, निरिंचत न जब तक साथ रहे साकीबाला
खोने का भय, हाय, लगा है पाने के सुख के पीछे
मिलने का आनंद न देती मिलकर के भी मधुशाला॥२२॥

मुझे पिलाने को लाए हो इतनी थोड़ी- सी हाला!
मुझे दिखाने को लाए हो एक यही छिछला प्याला!
इतनी पी जीने से अच्छा सागर की ले प्यास मरूँ
सिंधु- तृषा दी किसने रचकर बिंदु- बराबर मधुशाला॥२३॥

क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर, दुबर्ल मानव मिट्टी का प्याला
भरी हुई है जिसके अंदर कटु- मधु जीवन की हाला
मृत्यु बनी है निदर्य साकी अपने शत- शत कर फ़ैला
काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला॥२४॥

यम आयेगा साकी बनकर साथ लिए काली हाला
पी न होश में फ़िर आएगा सुरा- विसुध यह मतवाला
यह अंतिम बेहोशी, अंतिम साकी, अंतिम प्याला है
पथिक, प्यार से पीना इसको फ़िर न मिलेगी मधुशाला॥२५॥

शांत सकी हो अब तक, साकी, पीकर किस उर की ज्वाला
' और, और' की रटन लगाता जाता हर पीनेवाला
कितनी इच्छाएँ हर जानेवाला छोड़ यहाँ जाता!
कितने अरमानों की बनकर कब्र खड़ी है मधुशाला॥२६॥

जो हाला मैं चाह रहा था, वह न मिली मुझको हाला
जो प्याला मैं माँग रहा था, वह न मिला मुझको प्याला
जिस साकी के पीछे मैं था दीवाना, न मिला साकी
जिसके पीछे था मैं पागल, हा न मिली वह मधुशाला!॥२७॥

देख रहा हूँ अपने आगे कब से माणिक- सी हाला
देख रहा हूँ अपने आगे कब से कंचन का प्याला
' बस अब पाया! ' - कह- कह कब से दौड़ रहा इसके पीछे
किंतु रही है दूर क्षितिज- सी मुझसे मेरी मधुशाला॥२८॥

हाथों में आने- आने में, हाय, फ़िसल जाता प्याला
अधरों पर आने- आने में हाय, ढलक जाती हाला
दुनियावालो, आकर मेरी किस्मत की ख़ूबी देखो
रह- रह जाती है बस मुझको मिलते- मिलते मधुशाला॥२९॥

प्राप्य नही है तो, हो जाती लुप्त नहीं फ़िर क्यों हाला
प्राप्य नही है तो, हो जाता लुप्त नहीं फ़िर क्यों प्याला
दूर न इतनी हिम्मत हारूँ, पास न इतनी पा जाऊँ
व्यर्थ मुझे दौड़ाती मरु में मृगजल बनकर मधुशाला॥३०॥

मदिरालय में कब से बैठा, पी न सका अब तक हाला
यत्न सहित भरता हूँ, कोई किंतु उलट देता प्याला
मानव- बल के आगे निबर्ल भाग्य, सुना विद्यालय में
' भाग्य प्रबल, मानव निर्बल' का पाठ पढ़ाती मधुशाला॥३१॥

उस प्याले से प्यार मुझे जो दूर हथेली से प्याला
उस हाला से चाव मुझे जो दूर अधर से है हाला
प्यार नहीं पा जाने में है, पाने के अरमानों में!
पा जाता तब, हाय, न इतनी प्यारी लगती मधुशाला॥३२॥

मद, मदिरा, मधु, हाला सुन- सुन कर ही जब हूँ मतवाला
क्या गति होगी अधरों के जब नीचे आएगा प्याला
साकी, मेरे पास न आना मैं पागल हो जाऊँगा
प्यासा ही मैं मस्त, मुबारक हो तुमको ही मधुशाला॥३३॥

क्या मुझको आवश्यकता है साकी से माँगूँ हाला
क्या मुझको आवश्यकता है साकी से चाहूँ प्याला
पीकर मदिरा मस्त हुआ तो प्यार किया क्या मदिरा से!
मैं तो पागल हो उठता हूँ सुन लेता यदि मधुशाला॥३४॥

एक समय संतुष्ट बहुत था पा मैं थोड़ी- सी हाला
भोला- सा था मेरा साकी, छोटा- सा मेरा प्याला
छोटे- से इस जग की मेरे स्वगर् बलाएँ लेता था
विस्तृत जग में, हाय, गई खो मेरी नन्ही मधुशाला!॥३५॥

मैं मदिरालय के अंदर हूँ, मेरे हाथों में प्याला
प्याले में मदिरालय बिंबित करनेवाली है हाला
इस उधेड़- बुन में ही मेरा सारा जीवन बीत गया -
मैं मधुशाला के अंदर या मेरे अंदर मधुशाला!॥३६॥

किसे नहीं पीने से नाता, किसे नहीं भाता प्याला
इस जगती के मदिरालय में तरह- तरह की है हाला
अपनी- अपनी इच्छा के अनुसार सभी पी मदमाते
एक सभी का मादक साकी, एक सभी की मधुशाला॥३७॥

वह हाला, कर शांत सके जो मेरे अंतर की ज्वाला
जिसमें मैं बिंबित- प्रतिबिंबित प्रतिपल, वह मेरा प्याला
मधुशाला वह नहीं जहाँ पर मदिरा बेची जाती है
भेंट जहाँ मस्ती की मिलती मेरी तो वह मधुशाला॥३८॥

मतवालापन हाला से ले मैंने तज दी है हाला
पागलपन लेकर प्याले से, मैंने त्याग दिया प्याला
साकी से मिल, साकी में मिल अपनापन मैं भूल गया
मिल मधुशाला की मधुता में भूल गया मैं मधुशाला॥३९॥

कहाँ गया वह स्वगिर्क साकी, कहाँ गयी सुरभित हाला
कहाँ गया स्वपनिल मदिरालय, कहाँ गया स्वणिर्म प्याला!
पीनेवालों ने मदिरा का मूल्य, हाय, कब पहचाना?
फ़ूट चुका जब मधु का प्याला, टूट चुकी जब मधुशाला॥४०॥

अपने युग में सबको अनुपम ज्ञात हुई अपनी हाला
अपने युग में सबको अद्भुत ज्ञात हुआ अपना प्याला
फ़िर भी वृद्धों से जब पूछा एक यही उत्तर पाया -
अब न रहे वे पीनेवाले, अब न रही वह मधुशाला!॥४१॥

कितने ममर् जता जानी है बार- बार आकर हाला
कितने भेद बता जाता है बार- बार आकर प्याला
कितने अथोर् को संकेतों से बतला जाता साकी
फ़िर भी पीनेवालों को है एक पहेली मधुशाला॥४२॥

जितनी दिल की गहराई हो उतना गहरा है प्याला
जितनी मन की मादकता हो उतनी मादक है हाला
जितनी उर की भावुकता हो उतना सुन्दर साकी है
जितना ही जो रसिक, उसे है उतनी रसमय मधुशाला॥४३॥

मेरी हाला में सबने पाई अपनी- अपनी हाला
मेरे प्याले में सबने पाया अपना- अपना प्याला
मेरे साकी में सबने अपना प्यारा साकी देखा
जिसकी जैसी रूचि थी उसने वैसी देखी मधुशाला॥४४॥

यह मदिरालय के आँसू हैं, नहीं- नहीं मादक हाला
यह मदिरालय की आँखें हैं, नहीं- नहीं मधु का प्याला
किसी समय की सुखदस्मृति है साकी बनकर नाच रही
नहीं- नहीं कवि का हृदयांगण, यह विरहाकुल मधुशाला॥४५॥

कुचल हसरतें कितनी अपनी, हाय, बना पाया हाला
कितने अरमानों को करके ख़ाक बना पाया प्याला!
पी पीनेवाले चल देंगे, हाय, न कोई जानेगा
कितने मन के महल ढहे तब खड़ी हुई यह मधुशाला!॥४६॥

विश्व तुम्हारे विषमय जीवन में ला पाएगी हाला
यदि थोड़ी- सी भी यह मेरी मदमाती साकीबाला
शून्य तुम्हारी घड़ियाँ कुछ भी यदि यह गुंजित कर पाई
जन्म सफ़ल समझेगी जग में अपना मेरी मधुशाला॥४७॥

बड़े- बड़े नाज़ों से मैंने पाली है साकीबाला
कलित कल्पना का ही इसने सदा उठाया है प्याला
मान- दुलारों से ही रखना इस मेरी सुकुमारी को
विश्व, तुम्हारे हाथों में अब सौंप रहा हूँ मधुशाला॥४८॥

रन लोला रन (Run Lola Run, German Movie).

चित्रपटाची सुरुवात होते एक फ़ोन कॉल ने, लोलाचा मित्र मनी एका गुंडा कड़े कामाला आहे, आणि त्याच्याकडून एक लाख मार्क्स असलेली पिशवी हरवते, मनी जेव्हा लोकल ट्रेन मधून उतरतो तेव्हा ती त्याला एका भिकाऱ्याजवळ दिसते,पण ट्रेन सुटलेली असते आणि मनी त्याला पकडू शकत नाही
या दरम्यान लोला एका दुकानातून सामान घेत असताना तिची मोपेड चोरी होते. फ़ोन चालू असताना या घटना फ्लाश्बैक मधे दिसत राहतात. पुढच्या वीस मिनिटांत जर ती गुंडाला दिली नाही, तर तो आपला खून करेल, असा मनी लोलाला सांगतो आणि हातातला रिसिव्हर क्रेडलवर आपटून मनीला मदत करायला लोला धावत सुटते!

चित्रपटाचा गाभा या २० मिनिट मधे आहे, प्रत्येक वेळी एक नविन शक्यता, जसा की पाटी पुसून परत नव्याने सुरुवात. प्रत्येक २० मिनिटाच्या run मधे लोला ज्या ज्या लोकाना भेटते, किंवा screen वर जे लोक सातत्याने येत राहतात त्यांच्या आयुष्याबद्दल दिग्दर्शकाने फल्श्बैक मधे घेतलेला आढावा, in form of snapshots, बदलत राहतो.

शक्यता १:

फ़ोन क्रेडल वर आपटून लोला धावत सुटते, घरातून निघाल्यावर स्टेप्स वर शेजार्याचा कुत्रा तिच्यावर धावून येतो, ज्याने लोला अजुन जोरात धावायला लागते.लोला वडिलांकडे जाते, पैसे मागते. ते "नाही' म्हणतात. "तू माझी खरी मुलगी नाहीस आणि मी आता तुम्हाला सोडून दुसरं लग्न करणार आहे,' असं तिला ऐकवून हाकलतात. लोला पळत मनी आहे तिथं जाते.

दोघं मिळून तिथलंच एक स्टोअर लुटतात. पैशाची पिशवी घेऊन बाहेर येतात, पोलिसांच्या हातून सुटलेली गोळी लोलाला लागते, ती कोसळते. तिला मनीबरोबरचा संवाद आठवतो, "तुझं माझ्यावर खरंच प्रेम आहे का' या प्रश्‍नातून प्रश्‍न-उत्तरं सुरू होतात; ती संपत नाहीत. रस्त्यावर पडलेल्या लोलाचा क्‍लोजअप दिसतो - मनीच्या हातून सुटलेली पैशांची पिशवी खाली पडताना दिसते - लोला किंचाळते "स्टॉप!' - खाली पडणारी पिशवी आणि खाली पडणारा टेलिफोन रिसिव्हर यांचे इंटरकट्‌स दिसतात- फोन आपटतो- लोला पळू लागते- एक शक्‍यता संपते!


शक्यता २:


फोन आपटून पुन्हा लोला पळतेय, शेजारचा कुत्रा तिच्यावर हल्ला करतो, लंगड़ात बापाच्या ऑफिस मधे पहिल्या भागापेक्षा उशिराने पोचते, ज्या बाईसाठी लोलाचा बाप सोडून जाणार होता ती बाई लोलाच्या बापाला फसवते, लोला चौकीदाराच्या कमरेचं पिस्तूल वापरून जबरदस्तीनं पैसे घेते; बैंक लुटते, पैसे पिशवीत भरते, बाहेर येते. तोपर्यंत पोलिसांनी ऑफिसला वेढा घातलाय. दारावर बंदुका रोखल्याहेत. लोला घाबरते, पण तेवढ्यात एक ऑफिसर तिला बाजूला करतो आणि सगळे पुन्हा दारावर बंदुका रोखून उभे राहतात! दरोडेखोर म्हणून लोलाची शक्‍यता कुणीच विचारात घेत नाही! लोला पळते, मनीपाशी पोचते; पण रस्ता क्रॉस करणाऱ्या मनीला एक ऍम्ब्युलन्स धडक मारते. लोलाच्या हातून पैशाची पिशवी खाली पडते. आता मनीला लोलाबरोबरचा संवाद आठवतो. नव्या शक्‍यतांचं काहूर माजतं- हेही त्याला नकोय. तो "नाही' म्हणून ओरडतो - पुन्हा खाली पडणारी पैशाची पिशवी- खाली पडणारा टेलिफोन रिसिव्हर - दुसरी शक्‍यता संपते. फोन क्रेडलवर आपटतो आणि लोला धावू लागते!


शक्यता ३:

रस्त्यावर धावणाऱ्या लोलाकडे बघणाऱ्या आणि यापूर्वीच्या दोन्ही शक्‍यतांमध्ये अपघात झालेल्या माणसाशी या वेळी लोला बोलते, त्यामुळे अपघात होत नाही. परिणामी तो गाडी घेऊन निघून जातो. लोलाच्या वडिलांचा तो मित्र आहे. लोला त्याच्या ऑफिसमध्ये पोचायच्या आत तो पोचतो आणि त्यांना घेऊन बाहेर पडतो. त्यांची लोलाशी भेट होत नाही. लोला आता कॅसिनोत जाते. मनीचा जीव वाचवायला वीस मिनिटं तिच्याकडे असतात. ती आपल्याजवळचे २० मार्क्स आणि काही चिल्लर जुगारत लावते, २० या आकाड्यावर दोनदा जुगार लावून तिच्याकडे आता १ लाख मार्क्स पेक्षा जास्त पैसे जमा होतात, इकडे मनी ला तोच भिकारी आणि त्याची १ लाख मार्क्स असलेली पिशवी दिसते, मनी त्या भिकार्याकडून पिस्तूल च्या बदल्यात पैसे परत घेतो, लोला पैसे घेउन धावते, मनीपाशी पोचते, पण मनी कुठेच दिसत नाही, मनी एका कार मधून उतरताना दिसतो, त्याने पैसे बॉसला परत केलेले असतात. मनी आणि लोला चालू लागतात, मनी लोला ला विचारतो 'बैग मधे काय आहे?', लोला कैमरामधे बघून सूचक हसते आणि तिसरी शक्‍यता संपते!


वीस-वीस मिनिटांच्या या तीन शक्‍यता दिग्दर्शक आपल्याला दाखवतो. अगदी बारकाईनं प्रत्येक गोष्टीविषयी लिहायचं तर कदाचित वीसपेक्षा जास्त पानं लागतील! लोला धावतांना ज्यांना धडकते त्यांच्याही भविष्यातल्या शक्‍यता दिग्दर्शक स्नॅपशॉट्‌सच्या माध्यमातून दाखवतो. तिन्ही वेळा लोला त्यांनाच धडकते आणि प्रत्येकदा वेगवेगळ्या शक्‍यता दिसतात. त्या एकमेकांपेक्षा अगदी टोकाच्या वेगळ्याही असू शकतात. पहिल्या शक्‍यतेत डिपार्टमेंटल स्टोअर्स लुटणाऱ्या लोलाला पिस्तुलाच्या सेफ्टी लॉकबद्दल मनी सांगतो; मात्र दुसऱ्या शक्‍यतेत बापाला लुटणाऱ्या लोलाला त्याची माहिती असते! वडिलांचं सेक्रेटरीशी असलेलं अफेअरही तीन वेगवेगळ्या शक्‍यतांवर संपतं!


या सगळ्यांमध्ये एकच गोष्ट सारखी आहे, ती म्हणजे लोलाचं पळणं. प्रत्येक शक्‍यतेसाठी जीवाच्या आकांतानं पळणारी लोला एवढंच काय ते सत्य. उरलेल्या सर्व शक्‍यता बदलत्या, चांगल्या, वाईट. पुन्हापुन्हा दिसणारी तीच ती माणसं. पण दर वेळी त्यांचा बदललेला ऍटिट्यूड. हे की ते, चांगलं की वाईट, खरं की खोटं या सगळ्या आपल्या आजूबाजूच्या शक्‍यता तेवढ्या बदलतात आणि त्यांच्यामागे आपण त्या लोलासारखे फक्त पळत असतो.एकाच प्रश्नाच्या हजारो शक्य उत्तरामागे .


प्रत्येकाने एकदातरी बघावाच असा हा चित्रपट. :)


धन्यवाद,
निखिल. :)





Wednesday, May 18, 2011

Life in a Metro


Life in a Metro ------------------------- A story of life called Mumbai.



Movie starts with an introduction song of characters, housewife Shika (Shilpa Shetty), a well educated and trained classical dancer, who preferred to stay at home to look after family and a kid. Ranjeet (Kay Kay Menon) in a mid 30s working in a call centre as a senior manager.

Due to differences in married life Shikha got attracted towards Akash (Shiney Ahuja). Akash is a struggling theater actor, working hard to get a job. Akash's wife separated from him. Shikha came into Akash's life to comfort each other.

Akash and Shikha's relationship starts as friendship and almost blossoms romantically, until Shikha feels guilty and cannot cross her limits that she has so fervently guarded all these years.

Amol (Dharmendra) is a 70 year old man who has returned to India after 40 years to spend last few years of his life with his first love, Shivani (Nafisa Ali), who is also Shikha's dance teacher.


Rahul (Sharman Joshi) is a young man with dreams, working as a call center executive in a BPO in Mumbai. He silently loves Neha (Kangana Ranaut), a smart,young woman who has made it up the ranks in a very short time, due to her relationship with her boss, Ranjeet.


Shikha's sister and Neha's room-mate, Shruti (Konkona Sen Sharma) works in at Radio Mirchi as a producer. She is at the age of 28 and despo to get married. She meets Monty (Irrfan Khan) through a matrimonial site, but she is unimpressed by the straight-forward and socially inept Monty. While Monty likes her and is ready to marry her she declines when she finds him ogling at her. She is, however, dreamy eyed about her RJ, Rishi K. Her boss hooks her up with Rishi K, and her relationship with him blossoms.


Rahul has a novel strategy to rise up the ladder of success. He provides his flat to his superiors colleagues in office, where they can safely bring their mistresses, girlfriends or prostitutes, in return for recommendation for his promotion. Ranjeet also uses the flat to meet Neha.


Amidst one of their escapades in Rahul's flat, Neha asks Ranjeet about their future, which leads to an argument. He insults her and leaves. Indignant, she attempts suicide. Rahul finds her lying unconscious, and saves her. He brings her back to his house, which brings them closer.


Shruti is heartbroken when she discovers that Rishi K is gay. She leaves the job and joins a new job where she again meets Monty. Slowly, they become friends. Meanwhile, Shruti comes to know about Ranjeet and Neha.


Ranjeet panics and confesses to Shikha of his 2 year affair with Neha. An already guilt-stricken Shikha cannot hold it in any longer and tells him about her emotional relationship with Akash. Ironically, Ranjeet is shocked and angry, and decides to leave his wife.


Amol and Shivani were living together as like partners. The day Shivani dies, Amol regrets the decision to leave Shivani 40 years back, stressing the importance of love to Shikha and Shruti.


Shruti realizes that she loves Monty, and tells him so just as he is about to go for his wedding.


Meanwhile Ranjit asks for keys of flat to Rahul, Rahul declines as he loves Neha.

Rahul is disillusioned with the way the metro has treated him and decides to resign and leave the city. In another story Akash decides to leave the country and asks Shikha to join him.

Neha realizes that Rahul really loves her, and follows him to the station. Ranjeet returns to Shikha, who is just about to leave for the station to see Akash.


Neha chases Rahul. Monty chases Shruti. Shikha comes to the station but not to accompany Akash. She wishes him good luck, tells him that she will miss him.


While the credits roll, we are shown that Akash is still roaming the streets of Mumbai, Shikha and Ranjeet are in a happier marriage, and Rahul is living happily with Neha. Shruti and Monty are also happily married and have a kid.


Movie had a beautiful backdrop of Mumbai, mostly South Mumbai. Metro emphasis on extra-marital affairs, corporate political showdowns and makes a statement about love life and mistakes we often do in our day to day life. Shikha and Ranjeet symbolize new age career oriented couple and problems aroused due to stress and negligence towards partner.


Rahul shows an futuristic approach to go up the ladder, he offers his flat to his managers in returns of appraisals for promotion and to fill up his dream of having own restaurant.

Monty plays a role of youth, ogling at girls and despo to get married at age of 38+.


Story of Rahul, Neha and Ranjit is copied from Billy Wilder's 1961 classic The Apartment.

A lot of Akash, Shikha track was lifted from Adrian Lynne's Unfaithful.


Few good dialogs from movie :

  1. Ye shahar jitna hame deta hai, usase kai jyada leta hai. (Monty to Shruti)
  2. Petrol aur jawani, hamesha nai rehnewale, sambhal ke kharch karo. (Neighbor to Rahul)
  3. Money makes sweetest music. (By Rahul)
  4. Ye race hai, koi morning walk nahi. (Rahul to Ranjit)
  5. Rishta to koi guarantee card ke sath to aayega nahi, ki kam nahi kara change karlo.(Monty to Shruti).


Thanks,

Nikhil. :)